
उपयोगः फब्बारा सिंचाई प्रणाली ड्रिप प्रणाली की तरह ही होती है। अंतर सिर्फ इतना है कि टपक सिंचाई पद्धति में पौधा के जड़ क्षेत्र में पानी बूँद-बूँद गिरता है लेकिन स्प्रिंकलर सिंचाई में पानी छोटे बूँदों में बदलकर वर्षा की फुहार की तरह पौधों के ऊपर गिरता है। स्प्रिंकलर को फसलों के अनुसार उचित दूरी पर लगाने के बाद पम्प चलाया जाता है। जिससे पानी तेज बहाव के साथ निकलता है और स्प्रिंकलर में लगी नोजल पानी कि धार को तोड़कर वर्षा की फुहार की तरह पौधों पर गिरती हैं। स्प्रिंकलर हमेशा घूमता रहता है जिससे उसके आसपास की फसलों की सिंचाई की जा सकती है। इसका उपयोग उबड़-खाबड़ जमीन एवं कम वर्षा, कम सिंचाई तथा बलुई जमीन में किया जा सकता है। इसके द्वारा कम समय में ज्यादा खेत की सिंचाई की जा सकती है। इससे पानी, परिश्रम एवं समय की बचत होती है। इसमें पानी की बौछार से फसलों की सिंचाई होती है जिससे पौधों की पत्तियाँ साफ रहती हैं एवं पत्तियों को भोजन बनाने में आसानी होती है। इससे पौधों के विकास एवं उपज में वृद्धि होती है। छिटकवाँ विधि से बोई गई फसलों में भी यह उपयोगी है।
अनुमानित कीमतः रु. 0.50- 0.70 लाख प्रति एकड़